Lekhika Ranchi

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कर्तव्य की उपेक्षा: हरियाणवी लोक-कथा

एक सेठ के पास बहुत सारी गायें थीं। उसने उनकी देखभाल के लिए दो नौकर रखे । कुछ दिनों के बाद पता चला कि गायें बहुत दुबली हो गई हैं और कुछ मर भी चुकी हैं। सेठ को इस पर बहुत गुस्सा आया। उसने इसके लिए दोनों नौकरों को जिम्मेदार ठहराया। जांच करने पर पता चला कि दोनों नौकर अपने-अपने व्यसनों में लगे रहे।

एक को जुआ खेलने की आदत थी। गायों की देखभाल करने में उसका मन नहीं लगता था। अक्सर वह जुआ खेलने बैठ जाता और गायों की देखभाल नहीं हो पाती थी। यही बात दूसरे के साथ भी थी। वह पूजा-पाठ का व्यसनी था। वह गायों की तरफ ध्यान नहीं देता और पूजा-पाठ में लगा रहता था।

सेठ दोनों को राजा के पास ले गया। राजा को उनके बारे में फैसला करना था। लोगों को लगा कि राजा पूजा पाठ करने वाले नौकर को क्षमा कर देगा। लेकिन राजा ने दोनों को समान दंड दिया और कहा- कर्तव्य की उपेक्षा अपराध है, चाहे वह किसी भी कारण से की जाए।

  
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साभारः लोककथाओं से

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